Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2024 · 1 min read

गरीबों की जिंदगी

कभी नमक,
कभी कपड़े,
दवा भी लेनी है,
त्योहार की तैयारी चल रही होती है,
बेटी की विदाई भी आ जाती है,
उन्हें उपहार मे साड़ी,
धोती और कुर्ता देने की परंपरा ही है ।

शरद ऋतु में भरे हुए गोदाम,
वसंत में खुलता है,
उससे निकाल अनाज पूरी टोकरियाँ
सिर पर लिए बाजार जाना ही है,
कुछ अधिक मोल पाने की लालच मे
मोलमोलाई करना मजबूरी है ।

चूल्हे पर आग,
अनियमित हुए कई महीने हो गए,
कभी लड़का भूखा, कभी बूढी माँ और बाप,
वह ऐसे ही सोता है,
मालिक ‘हमे अनाज दो,
गरीबों को बार–बार भीख मांगनी पड़ती है,
गरीबों की जिंदगी ऐसे ही चलती है ।

#दिनेश_यादव
काठमाण्डू (नेपाल)

Language: Hindi
1 Like · 270 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
View all

You may also like these posts

विडम्बना
विडम्बना
Shaily
मंजिल की राह
मंजिल की राह
आकाश महेशपुरी
अभिव्यक्ति
अभिव्यक्ति
Varun Singh Gautam
..
..
*प्रणय प्रभात*
"विश्व साड़ी दिवस", पर विशेष-
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
बंदिशें
बंदिशें
Kumud Srivastava
ग़ज़ल (बड़ा है खिलाड़ी ,खिलाता है तू ..................).....................
ग़ज़ल (बड़ा है खिलाड़ी ,खिलाता है तू ..................).....................
डॉक्टर रागिनी
मौन
मौन
Shyam Sundar Subramanian
चुनावी दोहे
चुनावी दोहे
Sudhir srivastava
झील किनारे
झील किनारे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
राजनीतिक योग
राजनीतिक योग
Suryakant Dwivedi
बादलों की, ओ.. काली..! घटाएं सुनो।
बादलों की, ओ.. काली..! घटाएं सुनो।
पंकज परिंदा
"अमीर"
Dr. Kishan tandon kranti
तन्हाई
तन्हाई
ओसमणी साहू 'ओश'
*गॉंधी जी मानवतावादी, गॉंधी जी के उर में खादी (राधेश्यामी छं
*गॉंधी जी मानवतावादी, गॉंधी जी के उर में खादी (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
मेरा देश
मेरा देश
विजय कुमार अग्रवाल
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
Shweta Soni
आकर्षण और मुसाफिर
आकर्षण और मुसाफिर
AMRESH KUMAR VERMA
विदाई
विदाई
Aman Sinha
3495.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3495.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
सीता के बूंदे
सीता के बूंदे
Shashi Mahajan
भूखों का कैसा हो वसंत / राजकुमार कुंभज
भूखों का कैसा हो वसंत / राजकुमार कुंभज
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मुझे इंतजार है , इंतजार खत्म होने का
मुझे इंतजार है , इंतजार खत्म होने का
Karuna Goswami
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तुम्हें आसमान मुबारक
तुम्हें आसमान मुबारक
Shekhar Chandra Mitra
दोहा पंचक. . . . आस्था
दोहा पंचक. . . . आस्था
sushil sarna
The Magical Darkness.
The Magical Darkness.
Manisha Manjari
कविता
कविता
Rambali Mishra
वरद् हस्त
वरद् हस्त
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
Loading...