Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2024 · 1 min read

पूजा

पूजा वीणा दायिनी , नमन करे संसार ।
उर नवल ज्ञान दायिनी , बुद्धि देती अपार ।।
बुद्धि देती अपार ,जग माता पद्मासना ।
शारदे हंस वाहिनी , वर दे हमें सुभाषना ।।
कहत ओम कविराय , तुम सम जग में न दूजा ।
ज्ञानी बनें करके , वीणा दायिनी पूजा ।।

ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट , मध्य प्रदेश

Language: Hindi
174 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओमप्रकाश भारती *ओम्*
View all

You may also like these posts

खामोश दास्ताँ
खामोश दास्ताँ
Ragini Kumari
रंगों की होली
रंगों की होली
Karuna Bhalla
जज़्बातों का खेल
जज़्बातों का खेल
ललकार भारद्वाज
अच्छा समय कभी आता नहीं
अच्छा समय कभी आता नहीं
Meera Thakur
जिंदगी रो आफळकुटौ
जिंदगी रो आफळकुटौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ये दुनिया है कि इससे, सत्य सुना जाता नहीं है
ये दुनिया है कि इससे, सत्य सुना जाता नहीं है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक अरसा
एक अरसा
Bhupendra Rawat
करता था सम्मान, तभी तक अपना नाता।
करता था सम्मान, तभी तक अपना नाता।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
धिक्कार है......
धिक्कार है......
jyoti jwala
शेर बेशक़ सुना रही हूँ मैं
शेर बेशक़ सुना रही हूँ मैं
Shweta Soni
माँ सुहाग का रक्षक बाल 🙏
माँ सुहाग का रक्षक बाल 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"मेरी बेटी है नंदिनी"
Ekta chitrangini
मेरे राम
मेरे राम
Sudhir srivastava
तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम
तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम
शेखर सिंह
एक तरफ मां के नाम पर,
एक तरफ मां के नाम पर,
नेताम आर सी
"मेरा प्यार "
DrLakshman Jha Parimal
फंस गया हूं तेरी जुल्फों के चक्रव्यूह मैं
फंस गया हूं तेरी जुल्फों के चक्रव्यूह मैं
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
नसीब नसीब की बात होती है कोई नफरत देकर भी प्यार पाता है कोई
नसीब नसीब की बात होती है कोई नफरत देकर भी प्यार पाता है कोई
Ranjeet kumar patre
" क्यों "
Dr. Kishan tandon kranti
तुम मेरी
तुम मेरी
हिमांशु Kulshrestha
दोहा पंचक. . . . माटी
दोहा पंचक. . . . माटी
sushil sarna
*शुभ गणतंत्र दिवस कहलाता (बाल कविता)*
*शुभ गणतंत्र दिवस कहलाता (बाल कविता)*
Ravi Prakash
वक्त के धारों के साथ बहना
वक्त के धारों के साथ बहना
पूर्वार्थ
घंटीमार हरिजन–हृदय दलित / मुसाफ़िर बैठा
घंटीमार हरिजन–हृदय दलित / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
3228.*पूर्णिका*
3228.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यही मानवता का सन्देश हो
यही मानवता का सन्देश हो
manorath maharaj
मैं कभी लिख नहीं पाया
मैं कभी लिख नहीं पाया
शिव प्रताप लोधी
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
अंसार एटवी
ग़ज़ल 2
ग़ज़ल 2
Deepesh Dwivedi
भरे हृदय में पीर
भरे हृदय में पीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
Loading...