Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
16 Feb 2024 · 1 min read

आओ गुफ्तगू करे

बनाओ राम का मंदिर
मेरा भगवान आया है,
करे प्रांगण में गुफ्तगू
ये मेरे मन में आया है।

सजी गलियां अवध की है
सजा उपवन यहाँ सारा ,
प्रभु घर आये अपने है
बना जो आज है न्यारा।

चतुर्दिक फैली है ऊर्जा
सुवासित परिसर है पूरा,
गगन में दुंदुभि बजती
है पुलकित रोम हर मेरा।

हुए संघर्ष कितने है
बने मंदिर प्रभु तेरा ,
थी कितने वर्ष यू लटकी
प्रभु थी अस्मिता तेरी।

हुए बलिदान कितने है
किया है त्याग कितनो ने,
बने प्रासाद पुरंदर सा
मिला है दान अरबो में।

प्रतिक्षित साधना सबकी
हुई है पूरी सिद्दत से ,
करे ना ईश अब ऐसा
कोई वियोग यू फिर से।

है ठहरे भाग्यशाली हम
बने गवाह इस पल के ,
नयनभर देख ले रघुवर
तुम्हे आये न पल फिर से।

करे परिसर में गुफ्तगू
कि आंगन मन को भाया है,
चलो दर्शन भी कर आये
ये मेरे मन में आया है।

नमन पावन निमिष को है
नमन लग्नेश को पावन ,
नमन ब्रह्माण्ड को निर्मेश
सजे रघुनाथ का उपवन।

निर्मेष

Loading...