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16 Feb 2024 · 1 min read

सफ़र जो खुद से मिला दे।

सफ़र जो खुद से मिला दे

यूं तो ये जिंदगी मानो एक सफ़र की तरह ही है
बस चलते जा रहे हैं, जिस भी रूप में ढालते हैं ये रास्ते उसी रूप में ढलते जा रहें हैं

सभी रूप में से एक सफ़र खुद के लिए भी चुना है मैंने
खुली आंखों से एक सपना अपने लिए भी बुना है मैंने

आजकल अपने अल्फाजों से प्यार करने लगी हूं
अपनी ही दुनिया में खुश रहने लगी हूं

हंसती हूं, खिलखिलाती हूं, आजकल थोड़ी देर मैं खुद के संग भी बतियाती हूं
समझ सकूं कुछ बातों को इसलिए अपने मन को समझाती हूं

मैं पहचान चुकी हूं कि यहां हजारों लोगों की कहानी में खोकर कुछ हासिल होने वाला नही है
ये जो वक्त बीत रहा है रफ़्तार से वो वापिस मुझे मिलने वाला नहीं है

समय रहते एक कदम अपनी तरफ़ बढ़ा लिया मैंने
सारे फर्ज़ के साथ एक फर्ज़ अपने नाम का भी चढ़ा लिया मैंने

बहुत मुश्किल सा लगा था पहले लेकिन अब ये सफ़र आसान लगने लगा है
मेरी बातों को भी अब सम्मान मिलने लगा है।

रेखा खिंची ✍️✍️

Language: Hindi
202 Views
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