लेंगे फिर से बात का,उल्टा अर्थ निकाल.
सब्र रखो सच्च है क्या तुम जान जाओगे
मरूधरां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
अक्सर जब इंसान को पहली बार प्यार होता हैं तो सारी दुनियां सु
एक स्वच्छ सच्चे अच्छे मन में ही
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आवारग़ी भी ज़रूरी है ज़िंदगी बसर करने को,
"हम आंखों से कुछ देख नहीं पा रहे हैं"
दिलनशीं आसमॉं
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,