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14 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
गुज़ारो ज़िन्दगी चाहे यहाँ सारी कमाने में/1

विधाता ने लिखी क़िस्मत इबादत कर सदा इसकी
मगर कर कर्म ऐसा तू मज़ा आए सुनाने में/2

सुनाते हो निभाते ख़ुद नहीं बातें कही तुमने
भला है चुप नहीं हो फ़ायदा बातें बनाने में/3

बिछा दलदल बुराई का कभी सज्जन नहीं डूबे
यही दलदल करे पोषित कमल को नित हँसाने में/4

दवाई हार जाए जब दुवाएँ काम कर जाएँ
हमेशा साथ दे रब भी मुहब्बत को बचाने में/5

हृदय के भाव लिखता चल किसी के काम आ जाएँ
बड़ा सुख है किसी के ज़ख़्म पर मरहम लगाने में/6

किसी का ग़म अगर ख़ुद का लगे लगने समझ ‘प्रीतम’
छिपी इंसानियत दिल के किसी महके फ़साने में/7

आर. एस. ‘प्रीतम’

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