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10 Feb 2024 · 1 min read

मनहरण-घनाक्षरी

घाव में नमक भरें,
नहीं साथ उसे रखें,
भले नैन निर्झर,
झरें जल क्षार है।

भावना हैं कोरी-कोरी
बातें करता चटोरी,
यार प्यार सदा से दो
धारी तलवार है

रात जागें भोर सोते,
पड़े इन्हें प्रीति टोटे,
ठुकरा लखन बैर
ग‌ए तभी हार है

भागे चाहे इत-उत,
उतरेगा सिर भूत,
सुबह के भूले कंत,
शाम आए द्वार है।

संतोष सोनी “तोषी”
जोधपुर (राज)

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