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9 Feb 2024 · 1 min read

कोई और था

दिल की गहराइयों से चाहा था जिसने
कायल है आज भी दिल जिसके अखलाक का
वो तुम नहीं कोई और था
वो कोई और था आँसू पोंछे थे जिसने
लड़खड़ाते कदमों को दिया था सहारा
वो तुम नहीं कोई और था
तनिक उदास देख तड़प उठता था वो
जरा सी नम आँखें देख रो पड़ता था वो
वो जो कहता था तेरे लिए रब से टकरा जाऊँगा मै
चाँद की हो आरज़ू तो चाँद ले आऊँगा मै
जिसकी हर खुशी था मैं और मेरी खुशियाँ
वो तुम नहीं कोई और था
वो कहता था अपने रंजोगम मुझको उधार दे दे
दे दे ये मगमूम-ए-लम्हात सारे दर्द यार दे दे
कोशिश थी उसकी हर गम हर बला से दूर रखना
इबादत थी उसकी मुझे सिर्फ हँसते मुस्कुराते रखना
जिसने दिये जलाके अँधेरे को रोशनी दी
वो तुम नहीं कोई और था
उस दोस्त के एहसानो को मैं कैसे भुला दूँ या रब
कैसे मिटा दूँ उसकी यादों को अपने सीने से
गर रोता हूँ उसकी याद में रोने दो मुझे
तड़पता हूँ उसके दीद को तड़पने दो मुझे
तुम्हारा क्या लिये लेता हूँ जो शोर मचाते हो
हमदर्दी जताने वालों अजीज-ए-रफीको मुझसे
तुम तो वो हो जिसने मुझे जिंदा लाश बना दिया
अब क्या कहूँ तुम हो कौन और वो था कौन
(स्वरचित मौलिक रचना)
M.Tiwari”Ayan” 9452184217

Language: Hindi
236 Views
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