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8 Feb 2024 · 1 min read

मोही हृदय अस्थिर, व्यथित

मोही हृदय अस्थिर, व्यथित
था, अधर मुस्काते रहे
अठखेलियां करते नयन ,
नित स्वप्न छलकाते रहे
गाते रहे मिसरी से मीठे,
गीत, चित हरते रहे
पीले मुखो पर सांझ के,
अश्रु प्रलय करते रहे
अवसाद था या स्वाद ,
जीवन, धूप सा जलता रहा
आंगन में बेसुध पीर सा
चलता रहा चलता रहा..!!

©Priya Maithil

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