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7 Feb 2024 · 1 min read

युद्ध के बाद

मंजर बिलकुल ही अलग दिखे युद्ध के बाद।
बस्ती है उजड़ी हुई,टूटा घर बर्बाद।।

कैसी लपटें उठ रहीं,विभीषिका की आग।
मिटे कभी मिटता नहीं,ऐसा गहरा दाग।।

जर्रा-जर्रा कांपता,बहुत भयावह हाल।
बारूदों के ढेर पर, बिखरे नर-कंकाल।।

धरती पर लाशें बिछी,चहुँ दिश चीख-पुकार।
कटे सरों का हर तरफ,दिखता है अंबार।।

दवाइयाँ आहार जल ,सबका पड़ा अकाल।
जख्मों से तड़पे मनुज,दर्दों से बेहाल।।

देखो कैसे युद्ध ने ,सब कुछ किया तबाह।
दसों-दिशा में गूँजता,कितना करुण कराह।।

माँ की सूनी कोख है,बच्चे हुए अनाथ।
पत्नी विधवा हो गई,छूटा पति का साथ।।

युद्ध हमेशा से किया,केवल नरसंहार।
जाते-जाते दे गया,मन पर जख्म हजार।।

नहीं मौत की हो फसल,खिले खेत-खलिहान।
भाई-भाई-सा रहें,भारत पाकिस्तान।।
-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
1 Like · 219 Views
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