Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
6 Feb 2024 · 1 min read

*सावन में अब की बार

कर लो रे मनुहार थोड़ी, कर लो रे मनुहार
सावन में अब की बार सइयां दिलवइयो उपहार

लहंगा-चोली भरे पड़ें हैं
कड़े-पाटले घने धरे हैं
चाहूँ थारा प्यार
दे दो इक इतवार…… सावन में अब की बार…

बैठे-बैठे थक चुकी हूँ
मैं भी सइयां अक चुकी हूँ
‘लॉन्ग डिराइव’ मुझे ले चलो
अपनी ही है कार……. सावन में अब की बार…

हलवा-पूरी खिला चुकी हूँ
बैंगुन-गुइयाँ पका चुकी हूँ
होटल में अब तुम खिलवाओ
ओ! मेरे भरतार ….. सावन में अब की बार…

कर लो रे मनुहार थोड़ी, कर लो रे मनुहार

Loading...