Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2024 · 2 min read

सुनो पहाड़ की….!!! (भाग – ७)

वापसी में हम एक बार पुनः जानकी सेतु की ओर पहुँच गये। यहाँ से हम आश्रम की तरफ वापस लौट सकते थे। लेकिन अभी हमारे पास घूमने व अन्य स्थान देखने का पर्याप्त समय था। इसलिए हम रामसेतु की ओर चल पड़े। सोचा कि रामसेतु की ओर जाकर कुछ समय गंगा घाट पर बिताते हुए वहाँ संध्या के समय होने वाली माँ गंगा की आरती में सम्मिलित हुआ जाये।
अमित की इच्छा पुनः गंगा में स्नान करने की थी जबकि अर्पण इसके लिए अधिक उत्सुक नहीं था। उसे गंगा का जल ठंडा महसूस हो रहा था। अतः शाम के वक्त डुबकी लगाने का उसका कोई इरादा नहीं था। हम चलते हुए घाट की तरफ आये तो मुझे परमार्थ निकेतन दिखाई दिया, यह भी ऋषिकेश का एक प्रसिद्ध दर्शनीय धार्मिक स्थल है। इंटरनेट पर मैं इसके बारे में पढ़ चुकी थी। मैंने अर्पण व अमित से घाट पर जाकर बैठने से पहले परमार्थ निकेतन चलकर इसे देखने की इच्छा रखी। पहले तो दोनों ने आनाकानी की, फिर मेरी इच्छा देखते हुए वे दोनों भीतर चल पड़े।
परमार्थ निकेतन न केवल एक आश्रम है, अपितु धार्मिक रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक ज्ञानवर्द्धक स्थान है। यह एक शान्त व सुन्दर आश्रम है, जहाँ बाग-बगीचे के मध्य विभिन्न
धार्मिक कथाओं से जुड़ी घटनाएँ छोटे-छोटे मन्दिरों के रूप में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मूर्तियाँ बनाकर दर्शायी गयी हैं। भगवान विष्णु के पृथ्वी पर विभिन्न अवतार भी इसमें शामिल हैं। यहाँ का शान्त वातावरण एवं विभिन्न अवतारों का यह दर्शन देखते हुए व्यक्ति स्वयं में एक अलग ही दैवीय शक्ति एवं रोमांच का अनुभव करता है। ईश्वर के अनन्त रूपों के मध्य विचरण करते व्यक्ति
स्वयं के भीतर एक दिव्य शक्ति का अनुभव करते हुए स्वयं को ईश्वर के उन अनन्त रूपों में लीन महसूस करने लगता है और जी चाहता है कि क्यों न यहीं इस शान्त दुनिया में ही बस जाये।
इस दौरान आश्रम के ही एक साधू बाबा हमें इन अवतारों से जुड़ी धार्मिक जानकारी देते हुए हमें आश्रम का भ्रमण कराते रहे जिससे हमारा आनन्द व ज्ञान दोनों ही बढ़ रहे थे। उन साधू बाबा ने हमें परमार्थ निकेतन के विषय में जानकारी देने के अतिरिक्त वहाँ लगे चार महत्वपूर्ण वृक्षों के विषय भी बताया। निकेतन में भ्रमण करते हुए समय का अनुमान ही न रहा। इस बीच हमने स्मृति स्वरूप वहाँ की कुछ तस्वीरें अपने मोबाइल के कैमरे में कैद कर लीं। संध्या आरती का समय हो रहा था। अतः हम परमार्थ निकेतन से निकल कर गंगा घाट की ओर चल पड़े।
(क्रमशः)
(सप्तम् भाग समाप्त)

रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक :- २९/०७/२०२२.

238 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kanchan Khanna
View all

You may also like these posts

🚩एकांत महान
🚩एकांत महान
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
विचार
विचार
Kanchan verma
संवेदना क्या है?
संवेदना क्या है?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
शीर्षक -नव वर्ष स्वागत
शीर्षक -नव वर्ष स्वागत
Sushma Singh
There will be moments in your life when people will ask you,
There will be moments in your life when people will ask you,
पूर्वार्थ
मधुमक्खी
मधुमक्खी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
भीम बाबा ने सबको कहा है
भीम बाबा ने सबको कहा है
Buddha Prakash
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के व्यवस्था-विरोध के गीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के व्यवस्था-विरोध के गीत
कवि रमेशराज
जय जय दुर्गा माता
जय जय दुर्गा माता
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
" इंसानियत "
Dr. Kishan tandon kranti
रास्ते खुलते हैं
रास्ते खुलते हैं
Harinarayan Tanha
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुम आ जाते तो उम्मीद थी
तुम आ जाते तो उम्मीद थी
VINOD CHAUHAN
कौन है ऐसा देशभक्त
कौन है ऐसा देशभक्त
gurudeenverma198
तेरी आवाज ने हर मोड़ पे
तेरी आवाज ने हर मोड़ पे
Mahesh Tiwari 'Ayan'
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
संवेग बने मरणासन्न
संवेग बने मरणासन्न
प्रेमदास वसु सुरेखा
3232.*पूर्णिका*
3232.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रकृति का भविष्य
प्रकृति का भविष्य
Bindesh kumar jha
बेज़ार सफर (कविता)
बेज़ार सफर (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
राष्ट्रहित में मतदान करें
राष्ट्रहित में मतदान करें
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
अगर आपको अपने आप पर दृढ़ विश्वास है कि इस कठिन कार्य को आप क
अगर आपको अपने आप पर दृढ़ विश्वास है कि इस कठिन कार्य को आप क
Paras Nath Jha
शिकवे शिकायत की
शिकवे शिकायत की
Chitra Bisht
कहाँ लिखूँ कैसे लिखूँ ,
कहाँ लिखूँ कैसे लिखूँ ,
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Rashmi Sanjay
तुतरु
तुतरु
Santosh kumar Miri
...
...
*प्रणय प्रभात*
बात सच्ची अगर कही होती
बात सच्ची अगर कही होती
Dr fauzia Naseem shad
क़ैद-ए-जाँ से वो दिल अज़ीज़ इस क़दर निकला,
क़ैद-ए-जाँ से वो दिल अज़ीज़ इस क़दर निकला,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...