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4 Feb 2024 · 1 min read

4) धन्य है सफर

धन्य है सफर …

आसान हो जाता है
सफर जीवन का ,
मीत मिल जाता है
अगर मन का ।

सफर रास्ते के हों
या हों जीवन के ,
अगर मीत मिलें हों
बस अपने मन के ।

फिर ! धन्य हो जाता है ,
” रास्ते और जीवन ”
सफर बन के।
है न ?

मेरा सफर तो धन्य है
मीत का मीता बन के ,
उकेर दिया मैंने
सारे अपने मन के ।

कहें कैसा लगता है
मीत मुझे बना के ?

पूनम झा ‘प्रथमा’
जयपुर, राजस्थान

Mob-Wats – 9414875654
Email – poonamjha14869@gmail.com

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