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4 Feb 2024 · 1 min read

चलो गीत गाएं

पानी में जीवन है, आंसू में गीत
चलो गीत गाएं हम, लें जग को जीत

मिले नहीं पानी तो करें अश्रुपान
सत्कर्म कर बढ़ाएं भारत की शान
सहन करें आतप बरसात और शीत

हार नहीं मानें हम, भले मिले हार
तभी जीत पाएंगे जीवन का सार
मरना तो है ही, क्यों होते भयभीत?

रसूलों उसूलों का व्रत न करें भंग
आहत मजलूमों के सहलाएं अंग
याद रखें अपना भी बदनुमा अतीत

रखें साफ—सुथरा हम नदियों का नीर
सेवा कर गायों की पियें नित्य क्षीर
हंसहंसकर जीवन निज हम करें व्यतीत

— महेशचन्द्र त्रिपाठी

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