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3 Feb 2024 · 1 min read

बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-150 से चुने हुए श्रेष्ठ 11 दोहे

150 बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-150
*दोहा प्रदत्त शब्द-भुन्नाने /भुन्नानें (क्रोधित)🌹
संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
1
भन्नानें नइँयाँ कभउँ,जीवन भर दव प्यार।
हे ईसुर सबखों दिऔ, मोरे-से भरतार।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
2
भन्नानें फरसा लयें, परसराम महराज।
शिव धनु टौरौ कौन नें,हमें बताओ आज।।
***
-भगवान सिंह लोधी “अनुरागी”,हटा
3
भन्नाने से तुम फिरो , ई में काहै सार ।
चित्त शान्त अपनों करो ,बांटो जी भर प्यार ।।
****
– डॉ. बी.एस.रिछारिता, छतरपुर
4
भन्नानें मोरे बालमा, टाठी दीनीं फैंक।
बातैं पाछूँ कर लिये, पैलाँ रोटी सैंक।।
***
-प्रदीप खरे ‘मंजुल’ टीकमगढ़
5
सँइयाँ भन्नाने फिरत,सुनैं न कोनउ बात ।
बोलें गटा निपोरकैं,मौड़न सैं चिच्यात ।।
****
-शोभाराम दाँगी ‘इंदु’,नदनवारा
6
भंन्नानें श्री राम जी , धरे धनुष पै बान ।
समुद आन चरनन परे,चूर भऔ अभिमान।।
***
-आशाराम वर्मा “नादान ” पृथ्वीपुर
7
भुन्नाने बैठे पिया , भुन्सारे से दोर |
बात समझ ना आ रई , गोरी करे निहोर ||
***
-सुभाष सिंघई , जतारा
8
मस्तानी कलियाँ ख़िलीं, फूलीं नईं समात।
भन्नाने भौरा फिरें, कलन-कलन मड़रात।।
***
-एस.आर. ‘सरल’, टीकमगढ़
9
राम लखन सीता सहित, गये हते वनवास।
अपनी माता पर भरत, भन्नाने ते खास।।
***
-रामानन्द पाठक नंद, नैगुवां

10
भन्नाने तुम हो फिरत, करते तनिक विचार।
खुद ने खुद गलती करी, होते काय किनार।।
***
-मूरत सिंह यादव, दतिया
11
भुन्नाने से बै फिरत, खात नईं बै कौर।
राम भरोसें दिन कटत,राते नइयाँ ठौर ।।
***
– श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
***
संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’

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