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2 Feb 2024 · 1 min read

ज़ेहन पे जब लगाम होता है

ज़ेहन पे जब लगाम होता है
आदमी तब ग़ुलाम होता है

मय-कशी है बहुत ग़लत लेकिन
ख़ून पीना हराम होता है

जी-हुज़ूरी का मर्ज़ जिसको हो
चाटना उसका काम होता है

अपने दुश्मन को छोड़ देना भी
क्या गज़ब इंतिक़ाम होता है

-जॉनी अहमद ‘क़ैस’

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