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2 Feb 2024 · 1 min read

” प्रार्थना “

हे उमापति, सुन लो विनती
हृदय से बुलाया करते हैं

इंसान न रहना चाहे जहां
दिन रात सताया करते हैं
पल-पल टूटते अरमां जहां
उस बस्ती में हम रहते हैं
हे उमापति ………………
………………………….

हैं बली बने लाचार जहां
चुप-चाप बिताया करते हैं
मासूम से लगते चेहरे भी
तूफान मचाया करते हैं
हे उमापति ………………
………………………….

तिनका-तिनका उजड़ा है जहां
वहां न्याय की बातें करते हैं
अंधेरे हैं, पहरेदार जहां
प्रकाश न आया करते हैं
हे उमापति ………………
………………………….

नहीं चैन से सोते हैं लोग जहां
भाविष्य डराया करते हैं
अपनों की सतातीं हैं, यादें सदा
आंखों को रूलाया करते हैं
हे उमापति ………………….
……………………………..

“चुन्नू”बंदी सभी मिलकर के जहां
पुकार लगाया करते हैं
मेरी नाव फंसी मझ़धार ‘प्रभु’
बस पार लगाया करते हैं
हे उमापति ………………….
……………………………..

•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)

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