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1 Feb 2024 · 1 min read

शायरी – गुल सा तू तेरा साथ ख़ुशबू सा – संदीप ठाकुर

गुल सा तू तेरा साथ ख़ुशबू सा
हाथ में तेरा हाथ ख़ुशबू सा
हो के तुझ से जुदा भटकता हूँ
गुल से बिछड़ी अनाथ ख़ुशबू सा

संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur

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