Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2024 · 1 min read

मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।

मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
तू है तो जिंदगी का हर लम्हा यादगार बना है ।
Phool gufran n

1 Like · 224 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

अहाना छंद बुंदेली
अहाना छंद बुंदेली
Subhash Singhai
तुमसे मिला बिना
तुमसे मिला बिना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रहा हमेशा एक सा, दुख-सुख मे अंदाज
रहा हमेशा एक सा, दुख-सुख मे अंदाज
RAMESH SHARMA
सोचता हूँ एक गीत बनाऊं,
सोचता हूँ एक गीत बनाऊं,
श्याम सांवरा
मां कालरात्रि
मां कालरात्रि
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सफ़र
सफ़र
Kush Dogra
शीर्षक: ख्याल
शीर्षक: ख्याल
Harminder Kaur
मोहब्बत
मोहब्बत
Phool gufran
ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं
ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं
पूर्वार्थ देव
10) “वसीयत”
10) “वसीयत”
Sapna Arora
भुला के बैठे हैं
भुला के बैठे हैं
Dr fauzia Naseem shad
पृथ्वी दिवस पर
पृथ्वी दिवस पर
Mohan Pandey
*महॅंगी कला बेचना है तो,चलिए लंदन-धाम【हिंदी गजल/ गीतिका】*
*महॅंगी कला बेचना है तो,चलिए लंदन-धाम【हिंदी गजल/ गीतिका】*
Ravi Prakash
3095.*पूर्णिका*
3095.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बसपन में सोचते थे
बसपन में सोचते थे
Ishwar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Seema Garg
नाम या काम
नाम या काम
Nitin Kulkarni
क्या हुआ गर तू है अकेला इस जहां में
क्या हुआ गर तू है अकेला इस जहां में
gurudeenverma198
सारे दंगों से भला, होली का हुडदंग।
सारे दंगों से भला, होली का हुडदंग।
संजय निराला
सम्बोधन
सम्बोधन
NAVNEET SINGH
यही पाँच हैं वावेल (Vowel) प्यारे
यही पाँच हैं वावेल (Vowel) प्यारे
Jatashankar Prajapati
दीप ऐसा जले
दीप ऐसा जले
लक्ष्मी सिंह
जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…!
जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…!
पंकज परिंदा
यूँ हर एक चेहरे में मत ढूँढो तुम मुझको पूर्ण विद्रोही कलमकार
यूँ हर एक चेहरे में मत ढूँढो तुम मुझको पूर्ण विद्रोही कलमकार
पूर्वार्थ
मुक्तक
मुक्तक
Dr Archana Gupta
जो अंदर से घबराएं हुए हो वो बाहर से शारीरिक रूप से संकेत दे
जो अंदर से घबराएं हुए हो वो बाहर से शारीरिक रूप से संकेत दे
Rj Anand Prajapati
विराम चिह्न
विराम चिह्न
Neelam Sharma
"काश"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल-समय की ताल पर
ग़ज़ल-समय की ताल पर
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
एड़ियाँ ऊँची करूँ हिम्मत नहीं है
एड़ियाँ ऊँची करूँ हिम्मत नहीं है
Dhirendra Panchal
Loading...