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30 Jan 2024 · 1 min read

सम्प्रेषण

मैंने जब साहब की अमुक सफलता पर मिस्टर ‘च’ को बधाई दी,
तो बात मेरे दोस्त के गले नहीं उतरी.

बोले सफलता तो साहब ने हासिल की,
और बधाई आप ने मिस्टर ‘च’ को दे दी.

जब मित्र ने औचित्य का प्रश्न उठाया,
तो हमने इस में निहित तकनिकी बारीकियों को समझाया.

यदि मैं साहब को बधाई देता,
तो बंधे बंधाए चंद शब्दों में सब कह देता.

अब देखना सही अर्थों में होगा सम्प्रेषण,
क्योंकि मिस्टर ‘च’ की ओर से होगा इसमें नमक मिर्च का मिश्रण.

मिस्टर ‘च’ अपने पास से भी कुछ मिलायेंगे,
और साहब सुन कर गदगद हो जायेंगे.

हर संस्था की तरह हमारे यहाँ भी है,
बाहर की बात अंदर तक पहुँचाने के लिए मिस्टर ‘च’.

यह साहब के लिए हैं सतर्क आँख, नाक और कान,
तभी तो साहब को रह पाता है हार बात का ज्ञान.

जैसे आज अमुक ने चार बार पानी पीया,
अपने तीन बार पानी पीने के अधिकार का अतिक्रमण किया.

यह खबर साहब के पास कहाँ से आई ?
समझ गए ना, मिस्टर ‘च’ अपनी ड्यूटी करते नहीं कोताही.

जब दोस्त ने अपना माथा सहलाया,
हम समझे वो हमारी बात को समझ नहीं पाया.

लेकिन उन्होंने कहा – आप कहते हो यह सार्थक सम्प्रेषण है,
यह तो सरासर मानव संसाधनों का क्षरण है.

करने वाले भी जानते हैं यह संसाधनों का दुरूपयोग है,
कैसी विडंबना है फिर भी यह व्यापक रोग है.

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