Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2024 · 1 min read

* खिल उठती चंपा *

** नवगीत **
~~~~~~~~~~~
खिल उठती चंपा

रोज सुबह,
खिल उठती चंपा।

इस पुण्य धरा पर होती पोषित,
खूब फैलती और फूलती।
हरियाली साड़ी धारण कर,
खड़ी खड़ी इठलाती जाती।

खिले खिले सुन्दर फूलोँ की,
जग को भेंट चढ़ाती चंपा।

हरी भरी चंपा डाली पर,
श्वेत पुष्प जंचते है खूब।
देखो जहां खड़ी है चंपा,
बिछी हुई मखमल सी दूब।

सुन्दर कोमल भावोँ को तब,
नए अर्थ दे जाती चंपा।

रजत पुष्प में स्वर्णिम आभा,
चंपा ने सूरज से पाई।
चंद्रदेव ने भी जी भरकर,
स्वच्छ चाँदनी बिखराई।

इक सुन्दर देवी सी लगती,
पावनता की मूरत चंपा।
~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य।

1 Like · 1 Comment · 204 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all

You may also like these posts

संचित सब छूटा यहाँ,
संचित सब छूटा यहाँ,
sushil sarna
भाई से सन्देश ये कहना
भाई से सन्देश ये कहना
Bharti Das
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
4628.*पूर्णिका*
4628.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" वफादार "
Dr. Kishan tandon kranti
छंद मुक्त कविता : बचपन
छंद मुक्त कविता : बचपन
Sushila joshi
वीर पुत्र, तुम प्रियतम
वीर पुत्र, तुम प्रियतम
संजय कुमार संजू
जीवन तब विराम
जीवन तब विराम
Dr fauzia Naseem shad
फिर से
फिर से
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
*नई मुलाकात *
*नई मुलाकात *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बड़ा होने के लिए, छोटों को समझना पड़ता है
बड़ा होने के लिए, छोटों को समझना पड़ता है
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
*शुभांगी छंद*
*शुभांगी छंद*
Rambali Mishra
मेरा और उसका अब रिश्ता ना पूछो।
मेरा और उसका अब रिश्ता ना पूछो।
शिव प्रताप लोधी
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
अर्चना मुकेश मेहता
लोन के लिए इतने फोन आते है
लोन के लिए इतने फोन आते है
Ranjeet kumar patre
संत मदर टेरेसा
संत मदर टेरेसा
Poonam Sharma
*एक लाइन है जरा सुनियेगा*
*एक लाइन है जरा सुनियेगा*
Vishal Prajapati
धृतराष्ट्र की आत्मा
धृतराष्ट्र की आत्मा
ओनिका सेतिया 'अनु '
..
..
*प्रणय*
होली पर
होली पर
Dr.Pratibha Prakash
रोटियाँ
रोटियाँ
Rekha Rajput
!! एक चिरईया‌ !!
!! एक चिरईया‌ !!
Chunnu Lal Gupta
कृषक
कृषक
Shaily
****हर पल मरते रोज़ हैं****
****हर पल मरते रोज़ हैं****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वसियत जली
वसियत जली
भरत कुमार सोलंकी
मुस्कुराहट खुशी की आहट होती है ,
मुस्कुराहट खुशी की आहट होती है ,
Rituraj shivem verma
छन्दों की भाषा
छन्दों की भाषा
आचार्य ओम नीरव
कर्णधार
कर्णधार
Shyam Sundar Subramanian
सूरत अच्छी ,नीयत खोटी दर्पण देख रहे हैं लोग ,
सूरत अच्छी ,नीयत खोटी दर्पण देख रहे हैं लोग ,
Manju sagar
Loading...