Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2024 · 1 min read

*नयनों में तुम बस गए, रामलला अभिराम (गीत)*

नयनों में तुम बस गए, रामलला अभिराम (गीत)
_______________________
नयनों में तुम बस गए, रामलला अभिराम
1)
बालक-रूप विराजते, देते आति आनंद
मुखमंडल पर छा रही, मधु मुस्कान अमंद
फिर से सुरभित हो गया, तीर्थ अयोध्या धाम
2)
लला तुम्हारा आगमन, करता शुभ संचार
सुख एवं समृद्धि के, खुलते सौ-सौ द्वार
सरयू का तट धन्य है, जहॉं तुम्हारा नाम
3)
मन में आती शांति है, देख-देख छवि श्याम
रमा हुआ तुम में हृदय, दिन हो या हो रात
भीतर है निष्कामता, बाहर झंझावात
————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

621 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

जब जब तुम कहते हो
जब जब तुम कहते हो "ये कठिन समय है ?"
पूर्वार्थ
किताबें
किताबें
अमित मिश्र
Life is Beautiful?
Life is Beautiful?
Otteri Selvakumar
राजनीति का मंच
राजनीति का मंच
fyisahmed81
देन वाले
देन वाले
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लहरों का खेल
लहरों का खेल
Shekhar Chandra Mitra
बचपन में थे सवा शेर
बचपन में थे सवा शेर
VINOD CHAUHAN
जगदम्ब भवानी
जगदम्ब भवानी
अरशद रसूल बदायूंनी
होली का रंग
होली का रंग
मनोज कर्ण
कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी
कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी
Ranjeet kumar patre
अदाकारियां नहीं है
अदाकारियां नहीं है
Surinder blackpen
!! वैश्विक हिंदी !!
!! वैश्विक हिंदी !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
आज के पापा
आज के पापा
Ragini Kumari
अमृत ध्वनि छंद
अमृत ध्वनि छंद
Rambali Mishra
नारी
नारी
Nitesh Shah
हवा तो आज़ भी नहीं मिल रही है
हवा तो आज़ भी नहीं मिल रही है
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
स्वानंद आश्रम
स्वानंद आश्रम
Shekhar Deshmukh
तोता और इंसान
तोता और इंसान
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
खुलेआम मोहब्बत को जताया नहीं करते।
खुलेआम मोहब्बत को जताया नहीं करते।
Phool gufran
कुंडलिया. . . .
कुंडलिया. . . .
sushil sarna
*चाल*
*चाल*
Harminder Kaur
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
Shweta Soni
तेरा ज़िक्र
तेरा ज़िक्र
Sakhi
" लगन "
Dr. Kishan tandon kranti
अंदर कहने और लिखने को बहुत कुछ है
अंदर कहने और लिखने को बहुत कुछ है
Shikha Mishra
विवाहित बेटी की उलझन
विवाहित बेटी की उलझन
indu parashar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Pritam shrawastawi
Loading...