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28 Jan 2024 · 1 min read

ईश्के इजहार

मैं तुमसे प्यार करता हू नहीं इन्कार करता मन इस सच्चाई से
क्यों सामने आता हैं केवल तुम्हारा ही अक्स
क्यों खोज लेती हैं आँखें हजारों की भीड़ मे भी तुम्हें।
क्यों मधुर लगती हैं केवल तुम्हारी ही आवाज ।
नींदों को क्यों उडा ले जाता है तुम्हारा अहसास।
बढते है क्यों कदम उसी पथ को जहाँ से होकर तुम गुजरते हो
बढते है हाथ क्यों बंधने को तुम्हारे आगोस मै।
क्यों समा जाना चाहता है मन
तुम्हारी हर श्वास मैं।

यह झूठ नहीं सच है मैं तुमसे प्यार करता हू।

सोनु सुगंध

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