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27 Jan 2024 · 1 min read

मैं तुम्हें लिखता रहूंगा

क्षितिज हूं पर क्षिति पर हूं
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
गढ़ता रहूंगा शब्दों के मौन अभिविन्यास में ,
भाव की अभिव्यक्तियों में ,
सृजन की नव सृष्टियों में ,
उपवनों की खुशबूओं में,
कल्पना करता रहूंगा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा मैं तुम गढ़ता रहूंगा
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)

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