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28 Jan 2024 · 1 min read

मेरी हस्ती

गर्दिश ने मुझे कुछ इस कदर मारा ,
मैं होकर रह गया बेबस बेचारा ,

लोगों की फ़ितरत ने मुझे इस कदर लूटा ,
ग़म ज़ब्त करते हुए मजबूर मैं हर बार टूटा ,

बदग़ुमानी से मोरिद-ए-इल्ज़ाम होता रहा ,
तर्क-ए- मरासिम के खौफ़ से बग़ावत न कर सका ,

अख़लाक़ , वफ़ा , एहसास सब कोरी बातें
होकर रह गई ,
इस ज़माने में मेरी हस्ती अदना सी नाकारा
होकर रह गई ।

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