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25 Jan 2024 · 1 min read

दोहे : राघव

राघव मनहर रूप है, प्यारे हैं सरकार ।
सोहे टीका भाल पर , उर सजते हैं हार ।।

पीत वसन में भा रहे , कौशल्या के लाल ।
मंद मंद मुस्का रहे , मोह रहे हैं गाल ।।

अवध नगरिया धन्य है , पाकर अपने राम ।
घर घर बजे बधाइयाँ, अब सुबह और शाम ।।

बालक राघव लाडले , विराजे अवध धाम ।
प्रजा- भूप सब संग में , जपते उनका नाम ।।

दशरथ नंदन साँवरे , बड़ा सलोना रूप ।
मोहित सब नर नारि हैं, मंत्र मुग्ध हैं भूप ।।

डाॅ रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल

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