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24 Jan 2024 · 1 min read

बचपन

लगे मासूम सा बचपन, बड़ा भोला निराला है|
बहुत नादान नटखट सा, भरा मुख पे उजाला है|

उड़े मन बादलों पर ये,सुगंधित हैं सभी बातें|
नहीं चिंता ज़माने की, खुशी के गीत हैं गातें|
भरे खुश्बू जगत में जो, यहीं वो पुष्प माला है|
लगे मासूम सा बचपन, बड़ा भोला निराला है|

हठी, चंचल, सवाली तो, कभी कोमल दुलारे हैं|
करें मनमर्ज़ियाँ हरपल , नयन भर के सितारे हैं|
भरे मुस्कान की मोती, खुशी का एक प्याला है|
लगे मासूम सा बचपन, बड़ा भोला निराला है|

तरुण काया सुकोमल सी, हृदय निर्मल सुहाना है|
करें अठखेलियाँ हर दम, लबों पर इक बहाना है|
महकता फूल सा बचपन बड़ा मद मस्त आला है
लगे मासूम सा बचपन, बड़ा भोला निराला है|
वेधा सिंह

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