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24 Jan 2024 · 1 min read

वीरान जाने

दक़ीक़त पुर-शिकन वीरान जाने
सुखन में बारहा शमशान जाने

हुआ जो दर्द तन्हा नीमजाँ तो
ग़ज़ल इबरत जुनूं मीज़ान जाने

क्या दुनिया ख़ुदा बिस्मिल फ़ज़ा
सुख़न-गोई में बस ख़ासान जाने

अदा हासिल तिरी ताक़ीद से
बचे कैसे कमर ईमान जाने

रहा उलझा बयाबां में कुनू
नज़र आई वो तो रुजहान जाने

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