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24 Jan 2024 · 1 min read

गणपति

दोहे
गणपति

प्रथम पूज्य गिरजा तनय,कोटि सूर्य सम आभ।
विघ्नविनाशक आप हैं,जीवन के शुभ लाभ।

लंबोदर गजकर्ण का,विघ्नविनाशक रूप।
सिद्ध सभी कारज करें,पावन रूप अनूप।

शंकर सुत हे विश्वमुख,हे गणराज विशाल।
विघ्न हरो विघ्नेश तुम,हे प्रभु दीनदयाल।

संकट मोचन गणपति,प्रिय मोदक का भोग।
सकल कामना सिद्ध हो,सिद्धि विनायक योग।

शिवनंदन प्रभु गज वदन,रिद्धि सिद्धि के नाथ।
श्री गणेश के चरण में,झुका रहे ये माथ।

सुशील शर्मा

Language: Hindi
163 Views
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