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23 Jan 2024 · 1 min read

* श्री ज्ञानदायिनी स्तुति *

ज्ञानदायिनी वेद धारिणी , वीणापाणी हे ब्रह्माणी |
नमन करो स्वीकार शारदे, शुद्ध लेख मानस वाणी ||

सुरभि सी प्रसरित भुवन में –
तुम ज्ञानानिल हो जो बहो |
बुद्धिनिपुण हों ज्ञानधारी –
जन, कृतार्थ बड़भागी अहो ||
हो ज्ञानमय पावन धरा यह –
सदमार्ग, सत, सत्कर्म हों |
भाग्य फलित वह कृत्य हों –
कृत्यों में शोभित धर्म हों ||
कृत्यों में शोभित धर्म हों……………………………

– स्वरचित (मौलिक) @@@ लक्ष्मण बिजनौरी (लक्ष्मीकान्त)

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