Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
23 Jan 2024 · 1 min read

संगीत

सातों सुर संगम करे, तब बनता संगीत|
हो मुखरित सुर साधना, भरे हृदय में प्रीत|

सुर की सरिता से सजे, अंतरमन का साज़|
सुर, गति, लय, ताल से, गूँज उठे आवाज़|
मधुर तान सुनकर सभी, बन जातें हैं मीत|
सातों सुर संगम करे, तब बनता संगीत|

कण-कण में संगीत से, भरा हुआ संसार|
ध्यान लगाकर सुन ज़रा, ये सुखमय झनकार|
टूटे दिल को जोड़ना, है सरगम की रीत|
सातों सुर संगम करे, तब बनता संगीत|

जिसके उर में है भरा, सुर की निर्मल धार|
बैर भाव को भूल कर, सबसे करता प्यार|
फर्क नहीं पड़ता उसे, मिले हार या जीत|
सातों सुर संगम करे, तब बनता संगीत|
-वेधा सिंह

Loading...