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23 Jan 2024 · 1 min read

कैसै कह दूं

तुमको मेरा कभी ख़्याल न था।
कैसे कह दूँ मुझे मलाल न था।।

पढ़ के जिसको उलझ गये इतना।
लफ़्ज़ सादा थे, कोई जाल न था।।

जिसकी ख़ातिर, वार ते ख़ुशियाँ।
प्यार इतना भी बे’मिसाल न था।।

खेल जिसको कभी न हम पाये।
इतना मुश्किल कोई कमाल न था।।

तुमको मेरा कभी ख़्याल न था ।
कैसे कह दूँ मुझे मलाल न था ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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