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22 Jan 2024 · 1 min read

आकांक्षा तारे टिमटिमाते ( उल्का )

आकांक्षा तारे टिमटिमाते
बस देखता मुस्कुराता
रात के आंचल मे छिपता
बचत बचता ………..

टूटा सितारा निशा के आगोश
अंदर से सुलगता सुलगे – सुलगे
सुलगता धुवा कही न होय
बुझाता बुझा …………..

आसमान में’ मैं’ खोजता खोया
पिछड़ा एक अपने मे झुलसते
अंधकार मे जलता बूझता जलता
खोया खोया………..

रिश्ता नाते सब अनेक दूर छोड़ें
आकांक्षा को पूर्ति पूर्ण करे
आश लगाए जो देखें गगन
टक टक…………

सब का अपने -अपने दर्द
सब का अपने -अपने जख्म
टीम -टीम करता झुलसते
टक -टक,बचता,बुझाता,खोया….

गौतम साव

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