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20 Jan 2024 · 1 min read

काम है

शराब हो या इश्क़ हो बहकाना काम है
आशिकों का इश्क़ में मर जाना काम है

मय पर अख्तियार हो के कम ही जरा चढ़े
संभल के हर हाल में घर जाना काम है

जिंदगी में सुकून है कहाँ? वाजिब सवाल है
जिंदगी का जिंदगी भर बस सताना काम है

आँखों में नमी है… ये कैसा जुल्म है
आंसुओं का चेहरे तक बह जाना काम है

हकीकत के आदी हम कभी न हो सके
सपनों में हमारा हमको बुलाना काम है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
178 Views
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