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19 Jan 2024 · 1 min read

जुदाई - चंद अशआर

” जुदाई ”

उनकी जुदाई को.. सहा है हमनें ।
फ़िर भी…. कुछ न कहा है हमनें ।।

ज़ब्त कर लिया है… ग़मों को सारे ।
ख़ामुशी को भी पढ़ लिया है हमनें ।।

समझ रहे हैं ख़ुद को नसीब वाला ।
ज़ायक़ा इश्क़ का भी चखा है हमनें ।।

©डॉ वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©क़ाज़ी की क़लम

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