Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
18 Jan 2024 · 1 min read

हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें

हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें।
किसको माने अपना साथी, सोहबत किसकी यहाँ हम करें।।
हम यह सोच रहे हैं ——————————-।।

इन गौरे मुखड़ों और बदन पर, हमें तो शक हो रहा है बहुत।
कब लूट ले हमको हुस्न वाले, यकीन इनपे क्या हम करें।।
हम यह सोच रहे हैं ——————————-।।

बाज़ार है यह सौदागरों का,पहले मुनाफा यहाँ देखते हैं।
इतने अमीर लेकिन हम नहीं है, दिल की बात क्या हम करें।।
हम यह सोच रहे हैं ——————————-।।

यह चांद जो रोशन लग रहा है, हो जायेगा गुम कल कहीं।
यह जिंदगी होगी रोशन किससे, उम्मीद किससे यह हम करें।।
हम यह सोच रहे हैं ——————————-।।

यहाँ दोस्ती जिसने भी की, इन फूलों और इन हुर्रों से।
हो गए वो बदनाम और बर्बाद, शौक यही क्या हम करें।।
हम यह सोच रहे हैं ——————————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Loading...