Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
16 Jan 2024 · 1 min read

कलम ठहर न जाए देखो।

कलम ठहर न पाए देखो।
स्याही सूख न जाए देखो।
…..
दो पैरों पर चलने वाले।
कितने हैं चौपाये देखो।
…..
इक दूजे के पागलपन से।
दोनों ही पगलाए देखो।
…..
वक्त से पहले खिल उठते हैं।
बदन बहुत गदराये देखो।
…..
रुत से देखो कितने बचते।
आम बहुत बौराए देखो।
…..
उसने तुमको सूट बताकर।
चिथड़े हैं पहनाए देखो।
…..
ख़्वाब बेचता है जो तुमको।
सपने वही चुराए देखो।
…..
इक मकान का ख़्वाब दिखाकर।
उसने शहर जलाए देखो।
…..
नज़र, नज़र से बात करे क्या।
“नज़र” नज़र घबराए देखो।
…..
Kumar Kalhans

Loading...