Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2024 · 1 min read

प्राण प्रतिष्ठा

मन भेद विभिन्नताओं को दर्शाता है,
मन विचारों का उद् भव स्त्रोत है,
बुद्धि ज्ञान का संग्रह स्थल है,
विचार मंथन सचेतन अवस्था है,
अवचेतन मन वह संग्रहालय है,
जिसमें बेहोशी वास करती है,
“रेनिव्यूशन आवश्यक है,
वरन् अवचेतन मन सीधे क्रियान्वयन में उतर आता है,
जिसे बेहोशी / निंद्रा / तंद्रा
अंध-श्रद्धा
अंध-आस्था
अंध-विश्वास बसते है .।।
अब विशेष ये है
मालिक कौन है
उसकी पहचान है नहीं,
मनमानी वाले तत्व
अपने अपने यथा निर्दिष्ट स्थान पर स्थित नहीं है
तो अव्यवस्था फैल जायेगी,

अत: रियूनियन
अध्ययन
अध्यापन
ज्ञान
फिर अवलोकन
तब जाकर अव्यवस्था समाप्त हो सकती है.

जितना शरीर से दूर आस्था बनाई जायेगी,
व्यक्ति उतना खुद से दूर चले जायेगा,
मनुष्य द्वारा निर्धारित विषय
इंद्रियों के विषय बन जाते हैं,
मन मस्तिष्क को खण्ड खण्ड होने सै बचाने के लिए,,
आपको अपने गुरू की साधना करनी है,
इसी क्रिया को साधना कहते,
वह हुआ साधक,
ऐसे में कोई संबोधक स्वर्ण-मृग आपकी सीता का हरण नहीं कर सकता,
Re-unite your-self

Language: Hindi
1 Like · 460 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all

You may also like these posts

- तुझे देखा तो में तेरा हो गया -
- तुझे देखा तो में तेरा हो गया -
bharat gehlot
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मोहब्बत का पहला एहसास
मोहब्बत का पहला एहसास
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
झुमका
झुमका
अंकित आजाद गुप्ता
ख़ौफ़
ख़ौफ़
Shyam Sundar Subramanian
*चेतना-परक कुछ दोहे*
*चेतना-परक कुछ दोहे*
Ravi Prakash
"As the year ends, I'm not counting days. I'm counting lesso
पूर्वार्थ
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
Keshav kishor Kumar
दोहा सप्तक . . . . सावन
दोहा सप्तक . . . . सावन
sushil sarna
खुली आँख से तुम ना दिखती, सपनों में ही आती हो।
खुली आँख से तुम ना दिखती, सपनों में ही आती हो।
लालबहादुर चौरसिया लाल
स्वाभाविक
स्वाभाविक
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
अरज लेकर आई हूं दर पर बताने ।
अरज लेकर आई हूं दर पर बताने ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
दुनिया के डर से
दुनिया के डर से
Surinder blackpen
सोचा था एक घर होगा, घर में खुशियाँ अपार होंगी।
सोचा था एक घर होगा, घर में खुशियाँ अपार होंगी।
श्याम सांवरा
तू ख़ुदा के हुक़्म की तामील तो अच्छे से कर
तू ख़ुदा के हुक़्म की तामील तो अच्छे से कर
Shivkumar Bilagrami
*प्रेम का दर्शनशास्त्र (Philosophy of Love)*
*प्रेम का दर्शनशास्त्र (Philosophy of Love)*
Acharya Shilak Ram
3910.💐 *पूर्णिका* 💐
3910.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
I9BET là nhà cái cá cược trực tuyến đình đám trên thị trường
I9BET là nhà cái cá cược trực tuyến đình đám trên thị trường
I9BET
"तब"
Dr. Kishan tandon kranti
भले हो ना हो नित दीदार तेरा...
भले हो ना हो नित दीदार तेरा...
Ajit Kumar "Karn"
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
आस्था
आस्था
manorath maharaj
जीव सदा जग में बेचारा
जीव सदा जग में बेचारा
संजय निराला
..
..
*प्रणय प्रभात*
तुमसे अक्सर ही बातें होती है।
तुमसे अक्सर ही बातें होती है।
अश्विनी (विप्र)
जीवन यात्रा
जीवन यात्रा
विजय कुमार अग्रवाल
यहां  ला  के हम भी , मिलाए गए हैं ,
यहां ला के हम भी , मिलाए गए हैं ,
Neelofar Khan
शिद्धतों से ही मिलता है रोशनी का सबब्
शिद्धतों से ही मिलता है रोशनी का सबब्
दीपक बवेजा सरल
*मेरी कविता की कहानी*
*मेरी कविता की कहानी*
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
221 2122 2 21 2122
221 2122 2 21 2122
SZUBAIR KHAN KHAN
Loading...