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14 Jan 2024 · 1 min read

जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक

जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसके सामने तकलीफ़ को बयान करना लफ़्ज़ों को जाया करना है – हजरत अली

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