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14 Jan 2024 · 1 min read

मुक्तक

अपनों से ही छल गये हम
वक्त के साथ ढल गये हम
अब लोगों की शिकायत है
बहुत ज्यादा बदल गये हम ।

कुछ मिला तो नुमाइश न कीजिए
दोस्त की आजमाइश न कीजिए
सुकून भरी जिंदगी चाहिए गर
हद से ज्यादा ख्वाहिश न कीजिए ।

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