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12 Jan 2024 · 1 min read

दोहा त्रयी. . . .

दोहा त्रयी. . .

कितना किसको क्या कहें, लगते सभी सुजान ।
ज्ञान बाँटना आजकल, जैसे हो अपमान ।।

अर्थ आवरण में छुपी, अपनों की पहचान ।
सुख -दुख सब एकल हुए, रिश्ते सब बेजान ।।

अभिव्यक्त कैसे करें, अन्तस के उद्गार ।
मौन व्योम के मध्य है, मुक्त प्रीत शृंगार ।।

सुशील सरना / 12-1-24

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