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12 Jan 2024 · 1 min read

#विषय:- पुरूषोत्तम राम

#विषय:- पुरूषोत्तम राम
#शीर्षक:-12/1/2024
#शीर्षक:-मुक्तिधाम

सीताराम सीताराम,
भज रे मन राम राम ।

कब तक रहबे भोगी धाम,
राम भज मन जाओ मुक्तिधाम ।

नदियां, पर्वत, झरने,
जन, जीव-जन्तु को मिला उपहार ,
राम का जन्म पुरूषोत्तम का आगाज।

राम का अयोध्याधाम आगमन,
झूमकर गाता जन-जन और हनुमंत।

सारे क्लेश झूठ खंडित हो जाते ,
राम गूंज से श्रुतिपट तर जाते।

आओ चलो चले आयोध्याधाम,
भूपति राघव आ रहे अपने गेह धाम ।

कपटी मन से अब पाऊँ विराम,
आ गए अब दर्शन देने मर्यादापुरुषोत्तम राम ।

(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

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