Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jan 2024 · 1 min read

सदा साथ चलता है. . .

मंगलमय नव वर्ष हो, हर पल हो खुशहाल।
प्रीत बढ़े नफरत मिटे, हर्ष भरा हो साल।।
सुशील सरना/1-1-24
***
सदा साथ चलता है …..

कल
कहाँ कभी गुजरता है
हर पल ये साथ चलता है
इसके गर्भ में
सदियाँ मुस्कुराती हैं
घड़ियों के सुइयाँ भी
बीते कल के अन्धकार से
थरथराती हैं
वर्तमान की चौखट को
ये सदा चिढ़ाता है
एक पल के बाद
आज को
कल बन जाने का भय दिखाता है
सृजन में संहार की
ये अनुभूति कराता है
समझ ही नहीं पाता इंसान
वो कल के गुजरे काल में
क्या- क्या गुनाह छुपाता है
वर्तमान
कितना भी संपन्न क्यों न हो
सदा कल की गोद में पलता है
भानु से उगता है
ये भानु सा ढलता है
कल कहाँ कभी गुजरता है
ये तो
ज़िंदगी के साथ भी
ज़िंदगी के बाद भी
सदा साथ चलता है,सदा साथ चलता है …..

सुशील सरना

130 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

रिस्क लेने से क्या डरना साहब
रिस्क लेने से क्या डरना साहब
Ranjeet kumar patre
#जय_जगन्नाथ
#जय_जगन्नाथ
*प्रणय प्रभात*
अदा
अदा
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
- वो मुझको फेसबुक पर ढूंढ रही होगी -
- वो मुझको फेसबुक पर ढूंढ रही होगी -
bharat gehlot
अपनी पहचान
अपनी पहचान
Dr fauzia Naseem shad
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
Neelam Sharma
प्यार में, हर दर्द मिट जाता है
प्यार में, हर दर्द मिट जाता है
Dhananjay Kumar
कुछ मन की कोई बात लिख दूँ...!
कुछ मन की कोई बात लिख दूँ...!
Aarti sirsat
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
कत्ल करके हमारा मुस्कुरा रहे हो तुम
कत्ल करके हमारा मुस्कुरा रहे हो तुम
Jyoti Roshni
हर गम दिल में समा गया है।
हर गम दिल में समा गया है।
Taj Mohammad
*पावन धरा*
*पावन धरा*
Rambali Mishra
"जख्म"
Dr. Kishan tandon kranti
ओ मैना चली जा चली जा
ओ मैना चली जा चली जा
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
शबरी
शबरी
Dr Archana Gupta
पढो वरना अनपढ कहलाओगे
पढो वरना अनपढ कहलाओगे
Vindhya Prakash Mishra
दो पंक्तियां
दो पंक्तियां
Vivek saswat Shukla
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
पूर्वार्थ
चलो स्कूल
चलो स्कूल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*धार्मिक परीक्षा कोर्स*
*धार्मिक परीक्षा कोर्स*
Mukesh Kumar Rishi Verma
खुली क़िताब पढ़ने एक उम्र बिताना ज़रूरी है,
खुली क़िताब पढ़ने एक उम्र बिताना ज़रूरी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हमें लिखनी थी एक कविता
हमें लिखनी थी एक कविता
shabina. Naaz
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
अंसार एटवी
रंगों की रंगोली है धरती पर पिरोली
रंगों की रंगोली है धरती पर पिरोली
Shinde Poonam
निज गौरव, निज मर्यादा का
निज गौरव, निज मर्यादा का
करन ''केसरा''
साँझ का बटोही
साँझ का बटोही
आशा शैली
*कहॉं गए वे लोग जगत में, पर-उपकारी होते थे (गीत)*
*कहॉं गए वे लोग जगत में, पर-उपकारी होते थे (गीत)*
Ravi Prakash
संवेदनाएं
संवेदनाएं
Dr.Pratibha Prakash
दोहा त्रयी. . . . .
दोहा त्रयी. . . . .
sushil sarna
तुम बदल जाओगी।
तुम बदल जाओगी।
Rj Anand Prajapati
Loading...