Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Dashboard
Account
27 Jun 2016 · 1 min read

~~**!!मन की उहापोह में अक्सर साए का साथ!!**~~

~~**!!मन की उहापोह में अक्सर साए का साथ!!**~~
!!~~~~!!~~~~~!!~~~~~!~~~~~!!~~~~~!!~~~~!!
वो तसल्ली पे तसल्ली
मुझे देता रहा!
मैं ठण्ड बारिश की बूंदों में
पलकें भिंगोता रहा!

वो सूरज की किरणें
संजोता रहा!
मै मोतियों सा टूट
धागों से बिछुड़ता रहा!

कल रात दी पनाह
अंधेरों ने मुझे!
वो शातिर
उँजालों की बात करता रहा!

है गुम भरी भीड़ में
मेरा साया भी अब तो!
हर वक्त तन्हा चलने की
वो बात बेबाक करता रहा!!”______दुर्गेश वर्मा

Loading...