मिला कुछ भी नहीं खोया बहुत है

मिला कुछ भी नहीं खोया बहुत है
वफ़ा की राह में घाटा बहुत है
उसी की बात से टूटा बहुत है
यह दिल जिसके लिए धड़का बहुत है
ज़ुबाँ ख़ामोश है, सुनता बहुत है
वह सागर की तरह गहरा बहुत है
यकीं उसको मुहब्बत पर नहीं है
मिलन के वक़्त जो सजता बहुत है
वही तस्वीर पलकों से बना दी
इन आँखों ने जिसे देखा बहुत है
चमकती कार में जो बिक गया है
वह लड़का देखिए सस्ता बहुत है
क़यामत तक हमें ज़िन्दा रखेगा
हमारा मुख़्तसर किस्सा बहुत है
बहुत बजने लगे हैं चार बरतन
यह दिल शहनाई से डरता बहुत है
अकेला ही वह लश्कर की तरह था
“वही जो भीड़ में तनहा बहुत है”
बनाते हैं मसीहा हम उसी को
जो अरशद क़ौल से झूटा बहुत है
© अरशद रसूल बदायूंनी