रिस्क लेने से क्या डरना साहब
अदा
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
- वो मुझको फेसबुक पर ढूंढ रही होगी -
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
प्यार में, हर दर्द मिट जाता है
कुछ मन की कोई बात लिख दूँ...!
कत्ल करके हमारा मुस्कुरा रहे हो तुम
हर गम दिल में समा गया है।
ओ मैना चली जा चली जा
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
खुली क़िताब पढ़ने एक उम्र बिताना ज़रूरी है,
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
रंगों की रंगोली है धरती पर पिरोली
*कहॉं गए वे लोग जगत में, पर-उपकारी होते थे (गीत)*