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15 Dec 2023 · 1 min read

* जगो उमंग में *

** गीतिका **
~~
विशाद से भरी हरेक बात को भुलाइए।
जगो उमंग में जरा नया निखार लाइए।

सुगंध से भरे हुए खिले खिले गुलाब हैं।
कली दिखा रही नये स्वरूप मुस्कुराइए।

भरी नवीन ताजगी सुभोर है सुहावनी।
कहो सदा यही हमें अनेक बार आइए।

न दूरियां रहें कहीं विचार कीजिए यही।
रखें नहीं सुषुप्त स्नेह भावना जगाइए।

सुखी रहें व आपसी कभी न भेदभाव हो।
तजें सभी विरोध द्वेष भावना हटाइए।

बढ़ा रही निखार श्वेत चांदनी खिली खिली।
सही सुयोग आ गया सुपर्व तो मनाइए।

विचार स्वार्थ भाव के सहर्ष ही तजें स्वयं।
सभी हितार्थ नित्य तालमेल भी बिठाइए।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १५/१२/२०२३

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