Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Dec 2023 · 2 min read

*ड्राइंग-रूम में सजी सुंदर पुस्तकें (हास्य व्यंग्य)*

ड्राइंग-रूम में सजी सुंदर पुस्तकें (हास्य व्यंग्य)
_________________________
कई लोगों के ड्राइंग-रूम में शीशे की एक सुंदर-सी अलमारी बनी होती है। इस अलमारी में सुंदर पुस्तकें सजा कर रखी जाती हैं।
सुंदर पुस्तकों से आशय उन पुस्तकों से है, जो अच्छे प्रकाशकों द्वारा बढ़िया रंगीन कवर के साथ प्रकाशित की जाती हैं । इन पुस्तकों का कवर हमेशा बढ़िया होता है। दूर से देखो तो तबियत खुश हो जाए। यह सुंदर पुस्तकें ड्राइंग रूम की अलमारी के सौंदर्य को कई गुना बढ़ाती हैं, जिससे ड्राइंग रूम में बैठने वाले व्यक्तियों को सुंदरता का आभास होता है। जिस व्यक्ति का ड्राइंग रूम है, उसकी सुंदर अभिरुचि भी इन पुस्तकों, माफ कीजिए, सुंदर पुस्तकों के द्वारा प्रकट होती है।
चलते-चलते आपको यह भी बता दें कि ड्राइंग रूम का अभिप्राय घर के उस कमरे से है जिसमें केवल औपचारिक रूप से आने वाले मेहमानों को बिठाया जाता है। उनसे गपशप और वार्तालाप होता है तथा सुंदर चाय-नाश्ते का आयोजन भी होता है।
गृह-स्वामी इसके अलावा ड्राइंग रूम में कभी नहीं बैठते। इन सब बातों से आप समझ सकते हैं कि ड्राइंग रूम में सुंदरता-पूर्वक रखी गई सुंदर पुस्तकों को पढ़ने का समय भला गृह-स्वामी को कैसे मिल सकता है ?
बात भी बिल्कुल सही है। ड्राइंग रूम में सजा कर रखी गई सुंदर पुस्तकें केवल सौंदर्य की अभिवृद्धि के लिए ही रखी जाती हैं । उन्हें पढ़ता कौन है ! बस हॉं ! उनका नाम और कवर देखा, अच्छी लगीं और ड्राइंग रूम में स्थान मिल गया।
बड़े लोगों के ड्राइंग-रूम में किसी लेखक की पुस्तक अगर सुशोभित है, तो यह पुस्तक का अहोभाग्य है या बदकिस्मती, कहना कठिन है।
————————————-
लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश मोबाइल 9997615451

478 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।
सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।
Abhishek Soni
प्रीत ऐसी जुड़ी की
प्रीत ऐसी जुड़ी की
Seema gupta,Alwar
क़ब्र से बाहर निकलअ
क़ब्र से बाहर निकलअ
Shekhar Chandra Mitra
कुंडलियां
कुंडलियां
Suryakant Dwivedi
"बीज"
Dr. Kishan tandon kranti
चाँद...
चाँद...
ओंकार मिश्र
#अलग_नज़रिया :-
#अलग_नज़रिया :-
*प्रणय प्रभात*
चलो बनाएं
चलो बनाएं
Sûrëkhâ
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तुम्हारे प्यार के खातिर सितम हर इक सहेंगे हम।
तुम्हारे प्यार के खातिर सितम हर इक सहेंगे हम।
सत्य कुमार प्रेमी
नज़र -ए- करम
नज़र -ए- करम
Shyam Sundar Subramanian
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कहो कैसे वहाँ हो तुम
कहो कैसे वहाँ हो तुम
gurudeenverma198
परिंदा
परिंदा
VINOD CHAUHAN
जैसे जैसे हम स्थिरता की ओर बढ़ने लगते हैं हम वैसे ही शांत हो
जैसे जैसे हम स्थिरता की ओर बढ़ने लगते हैं हम वैसे ही शांत हो
Ravikesh Jha
"पुरुष का मौन: दर्दों की अनकही व्यथा"(अभिलेश श्रीभारती)
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
$ग़ज़ल
$ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
आजा न गोरी
आजा न गोरी
Santosh kumar Miri
3363.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3363.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
वक़्त हमने
वक़्त हमने
Dr fauzia Naseem shad
*देना सबको चाहिए, अपनी ऑंखें दान (कुंडलिया )*
*देना सबको चाहिए, अपनी ऑंखें दान (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
Dreamland
Dreamland
Poonam Sharma
शंकर छंद
शंकर छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
फ़िर कभी ना मिले ...
फ़िर कभी ना मिले ...
SURYA PRAKASH SHARMA
"चाहत"
ओसमणी साहू 'ओश'
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
पूर्वार्थ
चीजें खुद से नहीं होती, उन्हें करना पड़ता है,
चीजें खुद से नहीं होती, उन्हें करना पड़ता है,
Sunil Maheshwari
जिस सादगी से तुमने साथ निभाया
जिस सादगी से तुमने साथ निभाया
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
🌹गुलाब देने से अगर मोहब्बत...
🌹गुलाब देने से अगर मोहब्बत...
Vishal Prajapati
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
Dr Archana Gupta
Loading...