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1 Dec 2023 · 1 min read

कब तक जीने के लिए कसमे खायें

कब तक जीने के लिए कसमे खायें
और नखरों के नीचे दबते चले जायें
मोहब्बत जाहिर करके एहसान कर
उसके बाद उसी के कसीदे पढ़ते जायें
संभलती नहीं दुनियादारी तुम्हारे बिन
और कब तक बेजान ही तड़पते जायें
फूल अर्पित किये सजदे किये
इधर-उधर भटके और उन्हें ढूँढते जायें

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