Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Dec 2023 · 1 min read

ओझल तारे हो रहे, अभी हो रही भोर।

ओझल तारे हो रहे, अभी हो रही भोर।
शिथिल यामिनी हो रही, देखो चारों ओर।
ऊषा लेकर आ रही, स्वर्ण रश्मि की थाल।
होगा आभामय अभी, प्राची का शुभ छोर।
~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०१/१२/२०२३

1 Like · 1 Comment · 346 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all

You may also like these posts

*मंगलकामनाऐं*
*मंगलकामनाऐं*
*प्रणय प्रभात*
मैं खड़ा किस कगार
मैं खड़ा किस कगार
विकास शुक्ल
लाल उठो!!
लाल उठो!!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"शरीफ कम, समझदार ज्यादा हो गए हैं लोग ll
पूर्वार्थ
यथा नाम तथा न गुणा
यथा नाम तथा न गुणा
अमित कुमार
लोग कहते हैं कहने दो लोगो का क्या ?
लोग कहते हैं कहने दो लोगो का क्या ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
जरूरत के हिसाब से ही
जरूरत के हिसाब से ही
Dr Manju Saini
स्त्री हो तुम !
स्त्री हो तुम !
Roopali Sharma
बाखुदा ये जो अदाकारी है
बाखुदा ये जो अदाकारी है
Shweta Soni
हे दामन में दाग जिनके
हे दामन में दाग जिनके
Swami Ganganiya
रात बसर की मैंने जिस जिस शहर में,
रात बसर की मैंने जिस जिस शहर में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं हूँ, मुर्दा या जिंदा....
मैं हूँ, मुर्दा या जिंदा....
Madhu Gupta "अपराजिता"
"अभिव्यक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
जहाँ सूर्य की किरण हो वहीं प्रकाश होता है,
जहाँ सूर्य की किरण हो वहीं प्रकाश होता है,
Ranjeet kumar patre
3862.💐 *पूर्णिका* 💐
3862.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ढोंगी देता ज्ञान का,
ढोंगी देता ज्ञान का,
sushil sarna
बाल दिवस
बाल दिवस
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मुक्तक...
मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
बारिश की बूंदों ने।
बारिश की बूंदों ने।
Taj Mohammad
लफ्जों को बहरहाल रखा...!!
लफ्जों को बहरहाल रखा...!!
Ravi Betulwala
सलवटें
सलवटें
Shally Vij
कभी हसरतें थी कि, तेरे शहर में मेरा मकां होगा
कभी हसरतें थी कि, तेरे शहर में मेरा मकां होगा
Manisha Manjari
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
“प्रजातांत्रिक बयार”
“प्रजातांत्रिक बयार”
DrLakshman Jha Parimal
ये ईश्वर की दया-दृष्टि ही तो है
ये ईश्वर की दया-दृष्टि ही तो है
Ajit Kumar "Karn"
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
सब के सब
सब के सब
Dr fauzia Naseem shad
पिता का प्यार
पिता का प्यार
Befikr Lafz
खोले हैं जज्बात के, जब भी कभी कपाट
खोले हैं जज्बात के, जब भी कभी कपाट
RAMESH SHARMA
ख़ुशियाँ हो जीवन में, गुलाब होने का हर्ष रहे
ख़ुशियाँ हो जीवन में, गुलाब होने का हर्ष रहे
आर.एस. 'प्रीतम'
Loading...